Chandrayaan-3 Rover | चंद्रयान-3 का रोवर

चांद पर उतरा चंद्रयान 3

भारत के चंद्रयान-3 ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के साथ इतिहास रच दिया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की ‘सॉफ्ट लैंडिग’ कराने में सफलता हासिल की। विक्रम के सफलतापूर्वक लैंडिंग के बाद अब इसका रोवर ‘प्रज्ञान’ भी मॉड्यूल से निकलकर चांद पर उतर आया है। पूरी दुनिया से भारत को लगातार बधाई मिल रही है। इसके साथ ही चांद के इस हिस्से पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया था।

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चंद्रयान 3 रोवर

चंद्रयान-3 का प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर चहलकदमी कर रहा है। इसी बीच 25 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रोवर के विक्रम लैंडर से बाहर निकलने और इसके चांद की सतह पर चलने का एक शानदार वीडियो जारी किया है। इसरो ने बताया कि ये वीडियो लैंडर पर लगे इमेजर कैमरे ने बनाया है। स्पेस एजेंसी ने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, “चंद्रयान-3 का रोवर, लैंडर से निकलकर इस तरह चंद्रमा की सतह पर चला।” इसरो ने बताया कि दो खंडों वाले रैंप ने रोवर के रोल-डाउन की सुविधा प्रदान की। एक सौर पैनल ने रोवर को बिजली पैदा करने में सक्षम बनाया।

चंद्रयान 3 का रोवर यानी प्रज्ञान (Pragyan) लैंडर से बाहर आने के बाद चांद की सतह पर करीब 8 मीटर (26.24 फीट) चल चुका है।

चंद्रयान ३ का प्रज्ञान रोवर चांद पर भारत की पहचान बना रहा हैं, इसके पहियों में भारत के “अशोक स्तंभ” की छाप है। जैसे – जैसे रोवर चांद की सतह पर चल रहा हैं, वैसे – वैसे अशोक स्तंभ की छाप छपती जा रही हैं।

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ISRO ने दिया ताजा अपडेट

ISRO ने नई खुशखबरी दी है। लैंडर से निकलने के बाद प्रज्ञान रोवर अब तक चांद की सतह पर करीब 26.24 फीट की दूरी तय कर चुका है। रोवर, लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की सेहत ठीक है। उसके दोनों पेलोड्स ऑन हैं,काम कर रहे हैं। सभी के पेलोड्स यानी उनके अंदर लगे यंत्र सही-सलामत काम कर रहे हैं। तीनों का कम्यूनिकेशन बेंगलुरु स्थित सेंटर से बना हुआ है।

पहले ये जानते हैं प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर काम क्या कर रहा है। रोवर पर दो पेलोड्स लगें हैं। पहला है लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप ( LIBS)। यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी।

दूसरा पेलोड है अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS)। यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा। साथ ही खनिजों की खोज करेगा। आज यानी 25 अगस्त 2023 की सुबह ही लैंडर से बाहर आते हुए रोवर का वीडियो भी इसरो ने जारी किया था।

Chandrayaan-3

चंद्रयान 3 मिशन

चांद पर भेजा गया भारत का तीसरा मिशन कामयाब हो गया है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर दी है। अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा।

चंद्रयान-3 के लिए आने वाले 14 दिन बहुत अहम होने वाले हैं। 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा। विक्रम लैंडर के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान बाहर निकल चुका है।

आइए जानते हैं, 14 दिन बाद क्या होगा?

रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। लैंडर और रोवर इन दिनों में पूरी सक्रियता के साथ इसरो को सूचनाएं भेजेगा। दरअसल, 14 दिनों के बाद चांद पर रात हो जाएगी। यह रात कोई एक दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे 14 दिनों तक के लिए होगी। रात होते ही यहां बहुत अधिक ठंड होगी। क्यूंकि, विक्रम और प्रज्ञान केवल धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के बाद निष्क्रिय हो जाएंगे। हालांकि, इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम और प्रज्ञान के काम करने की संभावना से इनकार नहीं किया है।

अगर दोनों 14 दिन बाद सही-सलामत काम करते हैं, तो यह भारत के चंद्र मिशन के लिए बोनस होगा।

क्या पृथ्वी पर लौटेगा चंद्रयान-3?

ऐसा नहीं है कि चंद्रयान-3 पृथ्वी पर वापस लौट आएगा। विक्रम और प्रज्ञान हो सकता है काम न करें, लेकिन ये चंद्रमा पर ही रहेंगे।

चंद्रयान-3 का कुल वजन?

भारत के चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है। प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम और लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है,  जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर भी शामिल है।

चंद्रयान 3 कहां उतरा?

इसरो ने पहले ही चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट की तस्वीर साझा कर चुका है। यह तस्वीर बुधवार शाम 6.04 बजे हुई सटीक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद विक्रम के कैमरे से ली गई थी। चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र पर उतरा।

अब क्या करेगा प्रज्ञान रोवर ?

प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, मिट्टी और चट्टानों की जांच करेगा। यह दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों और इलेक्ट्रॉनों के घनत्व और थर्मल गुणों को मापेगा। सबसे खास बात यह है कि इस क्षेत्र पर पहले कभी कोई नहीं गया है। यह पहली बार है, जब किसी देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का साहस किया है।

चंद्रयान-3 के लिए अब अगले कुछ पड़ाव महत्वपूर्ण हैं:

चंद्रयान-3 - का-रोवर

रोवर बाहर आया

अब नजरें प्रज्ञान रोवर पर है, जो स्थितियां सामान्य होने के बाद चांद की सतह पर चलेगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल लैंडर के कंप्लीट कॉन्फिगरेशन बताता है। इसमें रोवर का वजन 26 किलोग्राम है। रोवर चंद्रयान-2 के विक्रम रोवर के जैसे ही है। प्रज्ञान रोवर बाहर आ गया है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव सहज पाल कहते हैं कि योजना के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना काम करना शुरू कर देंगे।

लैंडर के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले रोवर अपने पहियों वाले उपकरण के साथ वहां की सतह की पूरी जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों को देना शुरू कर देगा। इन पहियों पर अशोक स्तंभ और इसरो के चिह्न उकेरे गए हैं, जो प्रज्ञान के आगे बढ़ने के साथ चांद की सतह पर अपने निशान छोड़ेंगे। इसी के साथ इसरो और अशोक स्तंभ के चिह्न चांद पर अंकित हो जाएंगे।

14 दिन चांद की सतह से जानकारी इकट्ठा करेगा

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर और लैंडर से जो जानकारी इसरो को मिलेगी, वह 14 दिनों तक ही होगी, क्योंकि चांद को पूरी रोशनी सिर्फ इसी दौर में मिलेगी। उनका कहना है कि रोवर से मिलने वाली जानकारी बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए मानी जाती है, क्योंकि वह चांद की सतह पर जाकर आगे बढ़ता रहता है।

चंद्रयान-3 का रोवर

इसरो को चांद से अहम जानकारी भेजेगा

वैज्ञानिकों का कहना है कि 14 दिनों के भीतर रोवर चांद पर अपने तय रास्ते को न सिर्फ पूरा करेगा, बल्कि उसकी पूरी सूचनाएं भी इसरो के डाटा सेंटर को भेजता रहेगा। संजीव सहजपाल का कहना है कि सिर्फ रोवर ही नहीं बल्कि लैंडर के माध्यम से भी सूचनाएं और पूरी तकनीकी जानकारियां मिलती रहेंगी। वह बताते हैं कि लैंडर और रोवर 14 दिनों तक पूरी सक्रियता के साथ हमें सूचनाएं भेजेगा। उनका कहना है कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के लिए तैयार किए जाने वाले लैंडर और रोवर के पावर बैकअप की क्षमता 14 दिनों तक सबसे ज्यादा होती है। उसके बाद की सूचनाएं या तो मिलनी बंद हो जाएंगी या उनकी स्पीड न के बराबर हो जाएगी।

हालांकि, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि 14 दिनों के भीतर मिलने वाली सूचनाएं अंतरिक्ष में चांद पर की जाने वाली तमाम संभावनाओं की सबसे महत्वपूर्ण जानकारियां होंगी।

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