लक्ष्मी पूजन 2024
दिवाली के दिनों में लक्ष्मी पूजा शाम या रात को कि जाती है। सभी हिन्दू धर्म के लोग देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के लिए पूजा के समय अपने घर के दरवाज़े और खिड़कियाँ खोल देते हैं। देवी लक्ष्मी को अपने घर पर आमंत्रित करने के लिए अपनी खिड़कियों और बालकनी की छतों पर दीए जलाते हैं। दिवाली से पहले के दिनों में, लोग देवी के स्वागत के लिए अपने घरों को साफ, सफाई और मरम्मत करके सजाते हैं।
दिवाली के दिनों में लक्ष्मीजी की पूजा के लिए शाम ढलते ही लोग नए कपड़े या अपने सबसे अच्छे साफ सुधरे कपड़े पहनकर तैयार हो जाते हैं। फिर अपने घर आंगन में लोग दीये जलाते हैं, और मां लक्ष्मी की पूजा करते है। भारत के क्षेत्र के आधार पर एक या एक से अधिक सभी देवी देवताओं की पूजा की जाती है। आमतौर पर गणेश, सरस्वती और कुबेर हैं। लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतीक हैं, और लक्ष्मीजी के आशीर्वाद से हमारे आने वाले अच्छे वर्ष की कामना की जाती है।
इस दिवाली के दिनो, पूरे साल कड़ी मेहनत करने वाली माताओं की उनके पूरे परिवार द्वारा प्रशंसा की जाती है। सभी के घरों में माताओं को लक्ष्मी का एक अंश माना जाता है, जो घर में सौभाग्य और समृद्धि की प्रतीक है। उस दिन तेल से भरे छोटे मिट्टी के दीये पूरे घर आंगन में जलाए जाते हैं। उस धनतेरस के दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी अपने भक्तों से मिलने उनके घर आती हैं और उन सभी लोगों को सौभाग्य और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। देवी का स्वागत करने के लिए, सभी भक्तजन अपने घरों को साफ करते हैं, अपने घर को सजावट और रोशनी से सजाते हैं, और प्रसाद के रूप में मिठाईयां, मीठे व्यंजन और व्यंजन भी तैयार करते हैं। सभी भक्तों का मानना है कि देवी लक्ष्मी अपने आगमन के दौरान जितनी अधिक खुश होती हैं, उतना ही वे सभी परिवारो को स्वास्थ्य और धन का आशीर्वाद देती हैं।
लक्ष्मी पूजा की विधि
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। धनतेरस के दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती देवी की पूजा,अर्चना और आराधना की जाती है। हमारे धार्मिक पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक यानि कि वह पृथ्वी पर आती हैं और हर घर में आगमन करती हैं। इस समय दौरान जो भी घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अपने अंश के रूप में ठहर जाती हैं। इसलिए दिवाली पर घर की साफ-सफाई करके विधि विधान से मां लक्ष्मी का पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा हम सब पर बनी रहती है। लक्ष्मी पूजा के साथ-साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. दिवाली के दिनो लक्ष्मी पूजन से पहले पूरे घर की साफ-सफाई अच्छे से करनी चाहिए। पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता बनाए रखने के लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार पर रंगोली और दीयों की एक शृंखला बनानी चाहिए।
2. पूजा स्थल यानि कि घर में मंदिर की जगह के पास पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति हो तो रखें न हो तो दीवार पर लक्ष्मीजी का चित्र लगाएं। उस चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें।
3. माता लक्ष्मी और गणेशजी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि भगवान और माता को अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।
4. इस पूजा के साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें।
5. महालक्ष्मी पूजन यहां पर पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए।
6. महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण पर तिलक लगाए और स्वस्तिक बनाकर पूजा करे।
7. पूजन के बाद अपनी श्रद्धा और स्थिति के अनुसार ब्राह्मण और ज़रुरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा दें।
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लक्ष्मी पूजन में किन चीजों का उपयोग करते हैं?
भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की नई मूर्ति या फोटो
बही-खाता या ‘बही-खाता’ इसे पारंपरिक रूप से जाना जाता है।
देवी लक्ष्मी के लिए एक लाल रेशमी कपड़ा और एक पीला कपड़ा
भगवान के आसन के लिए एक लाल कपड़ा
मूर्ति रखने के लिए लकड़ी के पाट को तैयार करे
पांच बड़े मिट्टी के दीपक
25 छोटे मिट्टी के दीपक
एक मिट्टी का कलश या तांबे का कलश
लक्ष्मी पूजा का समय सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
प्रदोष काल, वृषभ काल और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे शुभ और सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय का है। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त शुभ और सर्वश्रेष्ठ होगा।
महालक्ष्मी पूजन की सामग्री
महालक्ष्मी व्रत के दौरान पूजा के लिए कलश, घी, दीपक, फल-फूल,सुपारी, हल्दी की गांठ,रोली,कुमकुम,कपूर, पंचामृत, पान,लाल कपड़ा, 16 श्रृंगार की सामग्री, धूपबत्ती,नारियल,खीर, समेत पूजा की सभी सामग्री एकत्रित करके लकड़ी के पाट पर मूर्ति के साथ रखे।
लक्ष्मी की पूजा कैसे की जाती है?
लक्ष्मी पूजन शाम को या रात को करने का विशेष महत्व है। पूजा के लिए एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी तथा गणेशजी की मूर्ति स्थापित करें। उनके समीप ही एक सौ रुपए, सवा सेर चावल, गुड़, चार केले, मूली, हरी ग्वार की फली तथा पाँच लड्डू रखकर लक्ष्मीजी और गणेशजी का पूजन करें। उन्हें लड्डुओं से भोग लगाएँ।
लक्ष्मी जी का मूल मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद
प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः:।।
अपने परिवार की सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए महालक्ष्मी के इस मंत्र का करीब 108 बार जाप करना शुभ और सर्वश्रेष्ठ साबित होगा।
ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
पूजा में पाँच देवताओं की पूजा की जाती है।
हमारे देश में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की विघ्नेश्वर के रूप में पूजा की जाती है।
देवी लक्ष्मी के तीन अलग-अलग अवतार है।
धन की देवी महालक्ष्मी।
विद्या की देवी सरस्वती।
यहा सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है।
लक्ष्मी पूजा क्यों मनाई जाती है?
हमारे हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी को दाता के रूप में पूजा जाता है। यह दीवाली के उत्सव पर धन प्राप्ति की कामना के साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दीवाली के दिन मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीसूक्तमकनकधारा स्त्रोत, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी मंत्र का पाठ-जप-हवन आदि पूजा के समय करना चाहिए। इसे करने से माता महालक्ष्मी, स्थिर लक्ष्मी स्वरूप में अपनी कृपा बनाए रखने के साथ धन-धान्य, सौभाग्य, पुत्र-पौत्र, ऐश्वर्य और प्रभुत्व का इत्यादि का वरदान देती हैं।
लक्ष्मी पूजा यह दिवाली के त्यौहार का एक अभिन्न अंग माना जाता है। जिसे हमारे देश भर में लाखों घरों में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ ये लक्ष्मी पूजा की जाती है।
Disclaimer: उपरोक्त दी गई सभी जानकारी जनरल ज्ञान के आधारित है। इसे अधिकतर जानने के लिए कृपया किसी मुख्य रूप से खास जानकर व्यक्ति से जानकारी प्राप्त करें।